1 day agoMember-onlyएक-सौ-चालीस करोड़ लोग, और गोल्ड एक!प्रश्नकर्ता आचार्य जी, आप हमेशा निगेटिव बात करते हैं। अभी आपने अपने ‘बचपन का प्यार’ वाले वीडियो में कहा कि “इन्डिया का यूथ (जवान पीढ़ी) फ़ालतू टिक-टॉक और रील्स बनाने में बिज़ी (व्यस्त) है, इसलिए इंडिया के ओलम्पिक मेडल्स नहीं आते” पर देख लीजिए कल ही नीरज चोपड़ा ने गोल्ड…Acharya Prashant11 min readAcharya Prashant11 min read
2 days agoMember-onlyबुद्धिजीवी नहीं, सत्यजीवी बनो्रश्नकर्ता: आचार्य जी, अभी जो दुर्गासप्तशती में कहानी बताई, इसमें असुरों का जन्म भी भगवती महामाया से हुआ और उनका संहार भी भगवती महामाया के द्वारा हुआ अर्थात वृत्तियाँ भी प्रकृति ने पैदा की और वृत्तियों का नाश भी वृत्ति ही कर रही है। आचार्य प्रशांत: नहीं, वृत्ति कुछ नहीं…Acharya Prashant3 min readAcharya Prashant3 min read
2 days agoMember-onlyगॉसिप ही ज्ञान हैप्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपकी किताब ‘कर्म’ खरीदने मैं नोएडा के एक बुकस्टोर गया, तो वहाँ के मैनेजर से बात होने लगी। तो बातचीत में एक-दो चीज़ें निकल कर आई। पहली, पिछले पाँच-सात सालों में किताबों की कुछ कैटेगिरी (श्रेणी) ही गायब हो गई है बुकस्टोर से, फिलोसॉफी (दर्शनशास्त्र) और स्प्रिचुएलिटी…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
3 days agoMember-onlyक्यों नहीं मिल सकते भारत को अच्छे नेता?आचार्य प्रशांत: प्रश्न है कि “क्यों नहीं मिल सकते भारत को अच्छे नेता?” यहाँ ‘नेता’ लिखा है, मैं समझता हूँ कि राजनैतिक क्षेत्र की बात की जा रही है, तो राजनेताओं की ही बात की जा रही होगी; क्योंकि नेतृत्व तो वरना किसी भी क्षेत्र में हो सकता है, पर…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
4 days agoMember-onlyहिन्दू खतरे में हैं?प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व (वैश्विक हिंदुत्व की समाप्ति) के नाम से अमेरिका में एक कॉन्फ्रेंस हो रही है। बहुत सारे लोगों का ऐसा मानना है कि यह कॉन्फ्रेंस हिन्दुओं को बदनाम करने की एक साज़िश है। इसी विषय में, आपके एनआरआई (प्रवासी भारतीय) श्रोता हैं एक, उनकी…Acharya Prashant31 min readAcharya Prashant31 min read
6 days agoMember-onlyहिन्दू धर्म में जातिवाद का ज़िम्मेवार कौन?का जाति:। जातिरिति च। न चर्मणो न रक्तस्य न मांसस्य न चास्तिनः। न जातिरात्मनो जातिवर्णाधरप्रकल्पिता।। अनुवाद: शरीर (त्वचा, रक्त, हड्डी आदि) की कोई जाति नहीं होती। आत्मा की भी कोई जाति नहीं होती। जाति तो व्यवहार में प्रयुक्त कल्पना मात्र है। ~ निरालंब उपनिषद (श्लोक क्रमांक १०) आचार्य प्रशांत: आज…Acharya Prashant27 min readAcharya Prashant27 min read
6 days agoMember-onlyजो भीतर से मुक्त है, वही बाहर से संघर्ष कर पाएगाश्रीदुर्गासप्तशती पर आचार्य प्रशांत: तीसरे और उत्तर चरित्र का तेहरवाँ और अंतिम अध्याय। ऋषि कहते हैं — “राजन! इस प्रकार मैंने तुमसे देवी के उत्तम माहात्म्य का वर्णन किया। जो इस जगत को धारण करती हैं, उन देवी का ऐसा ही प्रभाव है। वे ही विद्या उत्पन्न करती हैं। भगवान विष्णु की…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
Mar 21Member-onlyमूल्य आपके चुनाव का है, स्थिति का नहींआचार्य प्रशांत: तो यह सूत्र स्पष्ट होना बहुत ज़रूरी है। मूल्य आपकी चेतना का है, आपके शरीर का नहीं और मूल्य आपके चुनाव का है, आपकी स्थिति का नहीं। अच्छे से पकड़ लीजिए इसको — मूल्य आपकी चेतना का है, आपके शरीर का नहीं और मूल्य आपके चुनावों का है…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
Mar 20Member-onlyधर्म-परिवर्तन बुरा लगता है?प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा एक सवाल है। मैं, जो राष्ट्र के लिए काम करते हैं, ऐसे दो-तीन संगठनों से जुड़ा हूँ। और समाज में जो चल रहा है, सोशल-मीडिया पर चल रहा है, जो कन्वर्ज़न (धर्म-परिवर्तन) का काम चल रहा है ये, उससे न मेरे मन में काफ़ी प्रभाव…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
Mar 19Member-onlyहम डरते क्यों हैं?आचार्य प्रशांत: हम में से कितने लोग हैं जो कभी-न-कभी या अक्सर डर अनुभव करते हैं? कृपया अपना हाथ उठाएँ! (करीब-करीब सभी अपने हाथ उठा लेते हैं) आचार्य (हाथ उठाते हैं): मैं भी आपके साथ हूँ, तो मेरा भी हाथ उठा हुआ है। (श्रोतागण मुस्कुराते हैं) हम में से शायद…Acharya Prashant12 min readAcharya Prashant12 min read