आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantधर्मग्रन्थ- समयसापेक्ष और समयातीत!आचार्य प्रशांत: जब भी कोई बात कही जाती है, तो कही तो मन से ही जा रही है। हमें दो बातों में अंतर करना सीखना होगा। जो बात कही गई है, उसके…12h ago12h ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantसत्य के प्रति निष्ठा का अर्थ!प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कई रिश्ते ऐसे होते हैं जो न चाह कर भी पीछे छूट जाते हैं, क्या उन्हें दोबारा पाया जा सकता है?20h ago20h ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantनींद और मौत क्या बताते हैं?‘ ईश्वर खींच लेता है जीवों को उनकी मृत्यु के समय , और जिन्हें मृत्यु नहीं आयी उन्हें निद्रा की स्थिति में खींच लेता है। फिर जिन की मृत्यु…1d ago1d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantकल्पना, और कल्पना से आगे!आचार्य प्रशांत: जितनी दूर तक तुम्हारी कल्पना जा सकती है, (ब्रह्म) उससे आगे का है; और उसके आगे का हमें कुछ चाहिए, क्योंकि कल्पना जितनी भी…1d ago1d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantप्रकृति ही माया है!आचार्य प्रशांत: विश्व है, पूरा ब्रह्मांड ही है — ऐसा किसको लगता है? विश्व है भी इसका प्रमाण, या गवाह, या अनुभोक्ता कौन है? अहं है और मात्र…2d ago2d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantऐसे होते हैं उपनिषदों के ऋषि!आचार्य प्रशांत (आचार्य): थोड़ी विचित्र है मनुष्य की स्थिति। रहना उसे शरीर में ही है, रहना उसे जगत के साथ ही है। पर सिर्फ़ शरीर बनकर रहता है…3d ago3d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantपूर्णता माने क्या?प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, दीक्षा में पढ़ते हुए जो पहला श्लोक था, “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते,” तो इसमें पूर्ण का क्या मतलब…3d ago3d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantप्रत्यगात्मा क्या है? परमात्मा क्या है?आचार्य प्रशांत: आगे पूछा है कि “प्रत्यगात्मा क्या है और परमात्मा क्या है?” प्रत्यग + आत्मन्। प्रत्यग मतलब बाद में, पश्चात।4d ago4d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantबुद्धि के स्तर पर मनुष्य पशुओं के ही समान है!प्रश्नकर्ता: क्या बुद्धि और प्रकृति एक ही तल पर हैं?4d ago4d ago