10 hours agoMember-onlyहम पूर्ण से अलग हुए ही क्यों?प्रश्नकर्ता: मैं आज अमृतबिंदु उपनिषद पढ़ रहा था, जो आज भेजा गया था। उसमे लिखा है, “विषय-भोगों के संकल्प से रहित होने पर ही इस मन का विलय होता है। अतः मुक्ति की इच्छा रखने वाला साधक अपने मन को सदा ही विषयों से दूर रखे। इसके अनन्तर जब मन…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
1 day agoMember-onlyमौत का डर सताता है?प्रश्नकर्ता: सात साल पहले मेरे परिवार में एक दुर्घटना हुई थी। मेरी मम्मी और मेरे भाई की मृत्यु हो गई। मेरे मामा जी गाड़ी चला रहे थे तो मामा जी को नींद आ गई थी। मामा जी तो ठीक हैं, उनको इतनी ज्यादा कुछ चोट नहीं लगी मगर मेरी मम्मी…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
2 days agoMember-onlyहम बड़े लोगों से अपनी तुलना क्यों करना चाहते हैं?प्रश्नकर्ता: हम ऐसा क्यों करते हैं कि बड़े लोगों से हम अपनी तुलना करते हैं जैसे संत कबीर हो गए, आप हो गए, कृष्णमूर्ति जी हो गए, जबकि हमको पता है कि हमारी औकात क्या है, फिर भी? आचार्य प्रशांत: इसीलिए, क्योंकि तुम्हें पता है कि तुम्हारी क्या औकात है।…Acharya Prashant10 min readAcharya Prashant10 min read
3 days agoMember-onlyशांत मन को कैसे प्राप्त हों?लभन्ते ब्रह्मनिर्वाणमृषयः क्षीणकल्मषाः। छिन्नद्वैधा यतात्मानः सर्वभूतहिते रताः।। जिनके सब पाप नष्ट हो गए हैं, जिनके सब संशय ज्ञान के द्वारा निवृत्त हो गए हैं, जो सम्पूर्ण प्राणियों के हित में रत हैं और जिनका जीता हुआ मन निश्चलभाव से परमात्मा में स्थित है, वे ब्रह्मवेत्ता पुरुष शांत मन को प्राप्त…Acharya Prashant17 min readAcharya Prashant17 min read
4 days agoMember-onlyसस्ती है वो हँसी जिसके पीछे दर्द न होप्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी। मैं चौबीस साल का हूँ और मेरा सवाल ये है — हमारे जीवन में उदासी क्यों बनी रहती है? मैं बहुत बार जब अपने-आपको देखता हूँ तो किसी-न-किसी विचारों में बहुत बार लिप्त हो जाता हूँ, और ख़ुद को पाता हूँ कि उदास ही हूँ, वो…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
5 days agoMember-onlyबिना संकल्प आगे कैसे बढ़ें?यं संन्यासमिति प्राहुर्योगं तं विद्धि पाण्डव | न ह्यसंन्यस्तसङ्कल्पो योगी भवति कश्चन || हे अर्जुन! जिसको सन्यास कहते हैं, उसी को तुम योग जान; क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता। — श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ६, श्लोक २ प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, संकल्पो के बिना कोई…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
6 days agoMember-onlyगीता-ज्ञान कॉर्पोरेट मुनाफ़ा बढ़ाने के लिए है?प्रश्नकर्ता: आज बहुत सारी ऐसी संस्थाएँ और मेनेजमेंट गुरु पनप आए हैं जो श्रीमद् भागवतगीता को मैनेजमेंट मानें प्रबंधन सीखने की पुस्तक बताते हैं। मैं एमबीए कर रहा हूँ दिल्ली से तो मैंने भी मेनेजमेंट सीखने के उद्देश्य से गीता दो बार पढ़ी पर कुछ फायदा लगा नहीं, कुछ समझाएँ…Acharya Prashant19 min readAcharya Prashant19 min read
May 24Member-onlyअपनी ज़िंदगी की असलियत जाननी है?प्रश्नकर्ता: आप कहते हैं कि जीवन में मुक्ति, आनंद और चैन आए उससे पहले बंधनों का, दुःख और बेचैनी का अनुभव अनिवार्य है, पर मेरे जीवन में तो कोई ख़ास दुःख या बेचैनी दिखती नहीं मुझे। तो मैं बेईमान हूँ क्या या सचमुच दुःख है ही नहीं? आचार्य प्रशांत: समझते…Acharya Prashant15 min readAcharya Prashant15 min read
May 23Member-onlyस्मार्ट लड़कियाँ, कूल लड़के, अमीरी, और अंग्रेज़ीप्रश्नकर्ता: आचार्य जी, हम एक छोटे गाँव से बारहवीं करे। अब दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदु कॉलेज में दाखिला पाए। एक साल हो गया है, अच्छा नहीं लग रहा है कुछ। पढ़ाई छूट गई है। यहाँ सुंदर लड़की और अमीर लड़का का ही चलता है। हम सुंदर और अमीर दोनों नहीं…Acharya Prashant15 min readAcharya Prashant15 min read
May 22Member-onlyट्विटर पर हर आदमी जाँबाज़ सूरमा कैसे बन जाता हैप्रश्नकर्ता: मैंने देखा है कि मेरे आसपास के सब यार दोस्त लोग जिनका दुनिया में मुँह भी नहीं खुलता, कुछ तो बहुत ही औसत स्तर के हैं, कुछ ऐसे हैं जो फिसड्डी से भी हैं; यह सब लोग ट्विटर और रेडिट वगैरह पर जाकर एकदम योद्धा और सूरमा हो जाते…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read