आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantह्रदय में कृपा, युद्ध में निष्ठुरता!आचार्य प्रशांत: दूसरे चरित्र का जो अंतिम अध्याय है, चतुर्थ अध्याय, उसे मैं पढ़े देता हूँ। पहले सुन लें, फिर उस पर चर्चा करेंगे।2h ago2h ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantहमारी असली पहचान क्या?य एको जालवानीशत ईशनीभिः सर्वांल्लोकानीशतः ईशनीभिः। य एवैक उद्भवे सम्भवे च य एताद्विदुरमृतास्ते भवन्ति॥9h ago9h ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantधर्मग्रन्थ- समयसापेक्ष और समयातीत!आचार्य प्रशांत: जब भी कोई बात कही जाती है, तो कही तो मन से ही जा रही है। हमें दो बातों में अंतर करना सीखना होगा। जो बात कही गई है, उसके…1d ago1d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantसत्य के प्रति निष्ठा का अर्थ!प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कई रिश्ते ऐसे होते हैं जो न चाह कर भी पीछे छूट जाते हैं, क्या उन्हें दोबारा पाया जा सकता है?1d ago1d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantनींद और मौत क्या बताते हैं?‘ ईश्वर खींच लेता है जीवों को उनकी मृत्यु के समय , और जिन्हें मृत्यु नहीं आयी उन्हें निद्रा की स्थिति में खींच लेता है। फिर जिन की मृत्यु…2d ago2d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantकल्पना, और कल्पना से आगे!आचार्य प्रशांत: जितनी दूर तक तुम्हारी कल्पना जा सकती है, (ब्रह्म) उससे आगे का है; और उसके आगे का हमें कुछ चाहिए, क्योंकि कल्पना जितनी भी…2d ago2d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantप्रकृति ही माया है!आचार्य प्रशांत: विश्व है, पूरा ब्रह्मांड ही है — ऐसा किसको लगता है? विश्व है भी इसका प्रमाण, या गवाह, या अनुभोक्ता कौन है? अहं है और मात्र…2d ago2d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantऐसे होते हैं उपनिषदों के ऋषि!आचार्य प्रशांत (आचार्य): थोड़ी विचित्र है मनुष्य की स्थिति। रहना उसे शरीर में ही है, रहना उसे जगत के साथ ही है। पर सिर्फ़ शरीर बनकर रहता है…4d ago4d ago
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashantपूर्णता माने क्या?प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, दीक्षा में पढ़ते हुए जो पहला श्लोक था, “ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात् पूर्णमुदच्यते,” तो इसमें पूर्ण का क्या मतलब…4d ago4d ago