प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, क्या विचारों का आना असहज है? आचार्य प्रशांत: आप कहिए न! अभी आप यहाँ बैठे हुए हैं, तल्लीनता से सुन रहे हैं, कितने विचार उठ रहे हैं? कुछ ही समय पूर्व, करीब एक-डेढ़ घण्टे का सत्र हुआ था, विचार-मग्न थे क्या? या ध्यान-मग्न थे? दोनों का अंतर…