सफलता, बुरा वक़्त और ज्योतिष विज्ञान

प्रश्नकर्ता: जैसे राबिया और हसन के वक्त में राबिया ने कहा कि सत्य बताने का एक टाइम आएगा और तभी तुम उस बात को जानोगे क्या इसकी तुलना ऐसे हो सकती है कि जब तक अपना वक्त नहीं आता, अच्छे वक्त की चाभी नहीं मिलती।

आचार्य प्रशांत: बहुत बुरा वक्त तो हमारा चल ही रहा है। कौन है जिसका अच्छा वक्त चल रहा है? प्रमाण दिए देता हूँ- कोई है यहाँ जो बुरे वक़्त से डरा हुआ नहीं है? और डर ही तो फिर बुरे वक्त का लक्षण है न? तो चल रहा है बुरा वक्त। आप डरते हो कि बुरा वक्त आ जाएगा और ‘डर’ से ज़्यादा बुरा क्या हो सकता है? हम सबका बुरा वक्त ही चल रहा है। वास्तव में वक्त जब तक चल रहा है बुरा ही चलेगा। इसीलिए वक्त से आगे की बात की जाती है। घड़ी जब तक टिक-टिक कर रही है वो टाइम की नहीं, टाइम बम की टिक-टिक है कि फटेगा अब। उस फटने को आप मौत बोल लीजिए, कोई अनर्थ बोल लीजिए, कोई दुर्घटना बोल लीजिए, कुछ बोल लीजिए, कोई आशंका, कोई अंदेशा।

आप कहेंगे ‘आशा’ भी तो होती है कि कुछ नया आएगा। आशा होती है कि आगे कुछ आएगा तो अभी क्या चल रहा? अच्छा वक्त अगर आगे आना है, तो अभी क्या चल रहा है? ‘आशा’ भी इसी बात का प्रमाण है कि अभी तो बुरा वक्त ही चल रहा है न?

इस कहानी को पढ़कर के, राबिया के वक्तव्य को लेकर के एक नया बहाना खड़ा मत कर लीजिएगा कि राबिया ने हसन को बता दिया कि देखो बेटा जब वक्त आता है तभी सत्य से साक्षात्कार होता है तो अभी तो हमारा जैसा चल रहा है चलने दीजिए, अभी हमारा वक्त आया नहीं!

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org