विकसित मन ही दोस्ती कर सकता है

प्रश्न: पापा कहते हैं दोस्त कुछ नहीं होते। दोस्तों पर ध्यान मत दिया करो। इनके साथ मत घूमा करो। “मैं खुद नहीं जाता। किसी के साथ जाते हुए देखा है तूने मुझे?” पर मुझे लगता है दोस्त भी होने ज़रूरी हैं। पर एक तरफ़ मैं भी सोचता हूँ कि विश्वास कैसे करूँ? क्योंकि काफ़ी बार मुझे लगा कि मुझे धोखा दिया गया है और मेरी इच्छाओं की पूर्ती नहीं हुई है। फ़िर लगता है पापा भी सही कहते हैं। तो परेशान हूँ इस विषय में। आप ही सहायता करें।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org