ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं
उनको ख़ुदा मिले हैं ख़ुदा की जिन्हें तलाश
मुझको बस इक झलक, मेरे दिलदार की मिले।
ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं
मेरे काम की नहीं।।
आचार्य प्रशांत: अमर यादव ने नेतृत्व किया है, कह रहे हैं, “उनको ख़ुदा मिले हैं, ख़ुदा की जिन्हें तलाश, मुझको तो इक झलक मेरे दिलदार की मिले।”