2 hours agoMember-onlyअपने मन को हल्का कैसे करूँ?आचार्य प्रशांत: कबीर का है, सज्जन जन वही है, ढाल सरीखा होय। दुःख में आगे रहे, सुख में पाछे होय।। ~ कबीर ये इसमें, कहाँ है? ये कहाँ से आया है कि ‘सज्जन जन वही है जो दूसरों की मुसीबत के ख़ुद आने वाली चीज़ को ढाल की तरह आगे…Acharya Prashant13 min readAcharya Prashant13 min read
16 hours agoMember-onlyउलझे सम्बन्धों को कैसे सुलझाएँ?प्रश्न: क्या सम्बन्ध इनके अलावा भी होते हैं — शरीर, विचार, गुरु? वक्ता: अभी मैं अगर बताऊँगा भी, तो वो वैचारिक ही हो जाएगा ना। सोचिये, उसके बारे में आपको जानकारी मिल गयी, वो जानकारी क्या है? विचार है। तो ये पता भी चल गया कि, हाँ इसके अलावा भी…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
2 days agoMember-onlyक्यों भटक रहे हो?प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कबीर बार-बार कहते हैं– एहु अनमोलक जीवन पायो, सद्गुरु सबद ध्यायो। कहें कबीर पलक में सारी, एक अलख दरसाओ।। ~ कबीर साहब और फिर दोबारा कहते हैं– जल थल सागर पूर रहया है, भटकत फिरे उदासी। कहे कबीर सुनो भाई साधो, सहज मिले अविनाशी।। ~ कबीर साहब …Acharya Prashant19 min readAcharya Prashant19 min read
4 days agoMember-onlyजब प्यार किया तो डरना क्या!प्रश्नकर्ता: प्रणाम, आचार्य जी। इस गीत में प्यार का मतलब प्रतीत होता है किसी व्यक्ति के प्रति गहरा आकर्षण। मैंने खुद की ज़िन्दगी में भी ये महसूस किया है कि किन्हीं व्यक्तियों को देखते या सुनते ही अचानक एक जुड़ाव अनुभव होता है और बाद में समय के साथ यह…Acharya Prashant6 min readAcharya Prashant6 min read
4 days agoMember-onlyज्ञान और भक्ति में क्या श्रेष्ठ?निर्पंथी को भक्ति है, निर्मोही को ज्ञान। निर्द्वंद्व को मुक्ति है, निर्लोभी निर्वाण।। ~ कबीर साहब आचार्य प्रशांत: चार हिस्से हैं इसके, चारों को अलग-अलग बोलिए। एक आदमी पहले एक ही बोले, फिर अगला दूसरा। “निर्पंथी को भक्ति है” — क्या अर्थ हुआ? प्रश्नकर्ता१: सर, यहाँ निर्पंथी से अर्थ होता…Acharya Prashant18 min readAcharya Prashant18 min read
5 days agoMember-onlyबच्चों को कुविचारों से कैसे बचाएँप्रश्नकर्ता: आचार्य जी, क्या विचारों का आना असहज है? आचार्य प्रशांत: आप कहिए न! अभी आप यहाँ बैठे हुए हैं, तल्लीनता से सुन रहे हैं, कितने विचार उठ रहे हैं? कुछ ही समय पूर्व, करीब एक-डेढ़ घण्टे का सत्र हुआ था, विचार-मग्न थे क्या? या ध्यान-मग्न थे? …Acharya Prashant12 min readAcharya Prashant12 min read
5 days agoMember-onlyफालतू लोगों से बचना चाहती हैं?प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, मैं दिल्ली से हूँ , उम्र 25 साल। जिस उम्र में हूँ उसमें विपरीत लिंगी के प्रति थोड़ा-सा आकर्षण हो ही जाता है। हालाँकि ये पहली बार नहीं है, बीते समय के अनुभव रहे हैं। उससे ये पता चला कि मुझे इस दिशा में नहीं जाना…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
Dec 4Member-onlyकोई अमीर कोई गरीब क्यों पैदा होता है? कोई कमज़ोर कोई बलवान क्यों?प्रश्नकर्ता: प्रकृति मनुष्य के साथ भेदभाव क्यों करती है? किसी को बलवान पैदा करती है, किसी को कमज़ोर; किसी का दिमाग जन्म से तेज़ होता है, किसी का मंद होता है। आचार्य प्रशांत: प्रकृति को तुम्हारी चेतना से कोई मतलब नहीं है, वो शरीर-भर पैदा कर देती है; और शरीर…Acharya Prashant11 min readAcharya Prashant11 min read
Dec 3Member-onlyएक और आख़िरी मौक़ादुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार। तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।। ~कबीर साहब प्रश्नकर्ता: संसार में मनुष्य जन्म मुश्किल से मिलता है। यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता। तो क्या मनुष्य शरीर…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
Dec 2Member-onlyस्त्री कौन? मालकियत क्या?स्त्रियाँ प्रेम में उन्मत्त होकर जिस काम को करने लग जाती हैं, ब्रह्म भी उन्हें उस काम से नहीं हटा सकता। *~ श्रृंगार शतकम, श्लोक संख्या 54* जब कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है। ~…Acharya Prashant4 min readAcharya Prashant4 min read