मन को शांत करने के दो उपाय
मन को शांत करने के दो ही उपाय हैं - स्वाध्याय और सुसंगति।
जब अपने साथ रहो तो स्वाध्याय करते रहो और स्वाध्याय का मतलब बस किताब ही पढ़ना नहीं होता, स्वाध्याय का मतलब जीवन पढ़ना भी होता है। लगातार तुम जीवन का अवलोकन कर रहे हो ये भी स्वाध्याय है, और जैसे ही मौका मिले किसी ऊँचे की संगति करने का उसकी संगति कर लो।
इस भ्रम में मत रहना कि ऊँची किताबें तो उबाऊ होती हैं, बोरिंग होती हैं। इन किताबों ने कई शताब्दियों से लाखों-करोड़ों लोगों को खींच रखा है। उन किताबों में बड़ा खिंचाव है, बाकी सब विषय भूल जाओगे।
संत के पास बैठोगे, ज्ञानी के पास बैठोगे, दुनिया के बाकी लोग फ़ीके लगने लगेंगे। फिर तुम्हारा रस ही नहीं रह जाएगा बेवकूफ़ी भरी बातों में।
दोनों ही तरीके एक ही काम करेंगे कि बेचैन बालक मन को उससे मिला देंगे जिसकी मन को हमेशा से तलाश थी - सत्य।
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