ध्यान दो!

अपने जीवन के कष्टों को समझना चाहते हो? तो अपनी धारणाओं पर ध्यान दो।

जानना चाहते हो कि कितने अज्ञानी हो? तो अपने ज्ञान पर ध्यान दो।

उन सब मान्यताओं पर ध्यान दो जिनको तुमनें सत्य के विकल्प के तौर पर खड़ा किया है।

जो भी कुछ कहते हो कि मुझे पता है, जिस भी बात का बार-बार, ठोक-ठोक के दावा करते हो, उसी पर ध्यान दो।

अगर बार-बार कहते हो, ‘मुझे प्यार है, मुझे प्यार है, मुझे प्यार है।’ ध्यान दो, ’है? क्या वाकई है?’

जो भी कुछ कहते हो कि हाँ जानता हूँ, उसी पर ध्यान दो।

जिस भी बारे में पक्के हो कि ऐसा तो है ही, और ऐसा तो होना चाहिए ही, उसी पर ध्यान दो।

आवाक खड़े रह जाओगे, कुछ कह नहीं पाओगे। क्षणभर को कम-से-कम मौन का अनुभव हो जाएगा।

धारणाओं पर ध्यान देने भर से ही ये प्रसाद मिलेगा। उस क्षण में बच्चे की तरह हो जाओगे, जिसे कुछ नहीं पता।

आचार्य प्रशांत से निजी रूप से मिलने व जुड़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

आचार्य जी से और निकटता के इच्छुक हैं? प्रतिदिन उनके जीवन और कार्य की सजीव झलकें और खबरें पाने के लिए : पैट्रन बनें !

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

More from आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant