ध्यान दो!
अपने जीवन के कष्टों को समझना चाहते हो? तो अपनी धारणाओं पर ध्यान दो।
जानना चाहते हो कि कितने अज्ञानी हो? तो अपने ज्ञान पर ध्यान दो।
उन सब मान्यताओं पर ध्यान दो जिनको तुमनें सत्य के विकल्प के तौर पर खड़ा किया है।
जो भी कुछ कहते हो कि मुझे पता है, जिस भी बात का बार-बार, ठोक-ठोक के दावा करते हो, उसी पर ध्यान दो।