डिप्रेशन या अवसाद का कारण
“आज से पाँच दशक पहले जितनी एंग्ज़ायटी एक मानसिक रोगी को होती थी, उतनी एंग्ज़ायटी आज आम है — स्कूलों में, कॉलेजों में और ये बात अनुमान के आधार पर नहीं है, ये आँकड़े हैं, ये नम्बर्स हैं, ये रिसर्च(अनुसंधान) है, ये डेटा(तथ्य) हैं। हम सब किसी-न-किसी तरीके से परेशान हैं, निराश हैं, कोई चिंता है, दिमाग पर बोझ है। ये बात कहने की नहीं है, ऐसा हो रहा है। परीक्षण करके अगर नापा जाए तो हम सबका यही हाल निकलेगा। कोई चीज़ है जो परेशान करे ही जा रही है।