किसी बहुत बड़ी चीज़ के साथ व्यस्त हो जाओ
गुस्सा आना कोई बुरी बात नहीं है,
गुस्से के पीछे कारण सही रखो।
जब लगता है कि कुछ मिल नहीं रहा है,
जब लगता है कि कुछ खो रहा है,
किसी लक्ष्य को चाहा था,
और उसकी प्राप्ति नहीं हो रही, तो गुस्सा उठता है।
गुस्से की बात छोड़ो,
गुस्से के नीचे वो लक्ष्य है,
वो इच्छा, कामना है, जिससे जुड़े हुये हो।
लक्ष्य ठीक रखो।
जो ऊँचे से ऊँचा चाह सकते हो, उसको चाहो।
फिर वो न मिले, और गुस्सा आ गया, तो कोई बात नहीं।
दिक्कत तब है जब व्यर्थ, छोटी चीज़ चाही,
और फिर वो चीज़ नहीं मिली तो गुस्सा किया।
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