मैं इकट्ठा क्यों करता हूँ?
9 min readJan 27, 2023
साधु गाँठ न बाँधई, उदर समाता लेय ।
आगे पाछे हरि खड़े, जब माँगे तब देय ।।
~संत कबीर
वक्ता: साधु बस उतना ही लेगा जितना उसके उदर में समा जाए, बस उतना ही लेगा। उदर अर्थ सिर्फ़ भूख नहीं और कुछ भी होगा। गाँठ नहीं बांधेगा, आगे पीछे हरि खड़े, जब माँगे तब देय। जिन लोगों को वज़न कम करना होता है, उन लोगों को सलाह दी जाती है कि दिन में कई बार खाओ।