न अच्छा न बुरा है संसार, समझ गए तो रास्ता, न समझे तो दीवार

न अच्छा न बुरा है संसार, समझ गए तो रास्ता, न समझे तो दीवार

प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, आपने बताया है कि सब सांसारिक विषय मूल में एक ही हैं, बस रूप अलग-अलग हैं। जैसे ख़राब दूध से बनी सभी मिठाइयाँ ख़राब ही होंगी। चाहे रसगुल्ला खाओ, बर्फी खाओ, रसमलाई खाओ सब गंधाएँगी और पेट ख़राब करेंगी। आचार्य जी, कृपया बताएँ कि इस संसार में ऐसी क्या मूल ख़राबी है जो इसकी कोई भी वस्तु या लोग हमें संतुष्ट नहीं कर पाते और हम बीमार हो जाते हैं?

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org