ChatGPT क्या नहीं कर सकता?

ChatGPT क्या नहीं कर सकता?

प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी। आजकल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस , ए.आई. (कृत्रिम बौद्धिक क्षमता) का बड़ा बोलबाला है, तो हाल ही में एक चैट जीपीटी नाम का कन्वर्सेशनल ए.आई. रिलीज़ हुआ था। और इस ए.आई. के बारे में ख़ास बात है कि आप उससे कोई भी सवाल पूछ सकते हो, उससे बात कर सकते हो, उससे आप कोई कहानी भी लिखवा सकते हो, कोडिंग भी करवा सकते हो।

तो दुनिया भर में ख़बर में तो ये आया है, और लोगों में डर आ गया है कि कहीं ये उनकी नौकरी न ले जाए, इस तरह का *ए.आई.*। यहाँ तक कि सुनने में आया है कि गूगल में भी एक इंटर्नल मेमो चला था इस ए.आई. को लेकर के।

आचार्य जी, क्या ऐसा कोई काम बचा है जो ए.आई. नहीं कर सकता?

आचार्य प्रशांत: प्यार नहीं कर सकता! या वो भी उससे करवाओगे? ‘*चैट जीपीटी, गो लव माय गर्लफ़्रेंड*।’

(श्रोतागण हँसते हैं)

यही है, यही जवाब है। और बहुत अच्छी बात है कि ए.आई. से उन सब लोगों के लिए ख़तरा हो रहा है जो सिर्फ़ ढर्राबद्ध काम किया करते थे। तुम क्यों करते थे ढर्राबद्ध काम? तुम ऐसे काम क्यों करते थे जो बस पैटर्न बेस्ड थे, यंत्रवत् थे? क्यों करते थे? नाउ रेज़ योर गेम (अब अपना स्तर उठाओ), अब कुछ ऐसा करो जिसमें सृजनात्मकता हो।

ए.आई. क्रिएटिव (सृजनात्मक) नहीं हो सकती। वो जो कुछ भी कर रही है, वो दिखती भी हो भले, कि नया जवाब दे दिया, कहानी लिख दी; वो क्रिएटिव नहीं है, है तो रिपिटेटिव (दोहराया गया) ही। हाँ, वो स्मार्टली रिपिटेटिव है, तो इसलिए आपको क्रिएटिव लग सकती है, पर वो वास्तव में क्रिएटिव नहीं होती। कोई मशीन (यंत्र) कभी क्रिएटिव नहीं हो सकती; आज की बात नहीं, आज से दस हज़ार साल बाद की बात भी बोल रहा हूँ।

समझ पाना, साक्षी हो पाना, प्रेमपूर्ण हो पाना, करुण हो पाना न किसी मशीन के लिए संभव है, न ए.आई. के लिए संभव है; किसी तरह की आर्टिफ़िशियालिटी (कृत्रिमता) के लिए वो संभव नहीं है।

मतलब समझ रहे हो?

मनुष्यों में जितने आध्यात्मिक मूल्य होते हैं, सिर्फ़ वही हैं जिनको मशीन कभी नहीं पकड़ सकती। मनुष्य जितने काम करते हैं, मशीन सब करके दिखा देगी, तो मनुष्य के लिए सिर्फ़ क्या बचेगा फिर करने को? अध्यात्म; तो वही है जो मशीन कभी नहीं कर सकती।

तो अच्छी बात है न, ये चैट जीपीटी वगैरह आ रहे हैं। तुम्हारे लिए अब ये चुनौती है, क्योंकि अगर अब अध्यात्मिक नहीं बनोगे तो तुमसे बेहतर तो मशीन है। न भूख लगती है उसको, न उसको मूड स्विंग्स होते हैं, न वो ये कहेगी कि अभी तो खाना खाया है, अभी सोना है थोड़ी देर को; उसको कुछ नहीं!‌

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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