20 hours agoMember-onlyधर्म-परिवर्तन बुरा लगता है?प्रश्नकर्ता: प्रणाम आचार्य जी, मेरा एक सवाल है। मैं, जो राष्ट्र के लिए काम करते हैं, ऐसे दो-तीन संगठनों से जुड़ा हूँ। और समाज में जो चल रहा है, सोशल-मीडिया पर चल रहा है, जो कन्वर्ज़न (धर्म-परिवर्तन) का काम चल रहा है ये, उससे न मेरे मन में काफ़ी प्रभाव…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
1 day agoMember-onlyहम डरते क्यों हैं?आचार्य प्रशांत: हम में से कितने लोग हैं जो कभी-न-कभी या अक्सर डर अनुभव करते हैं? कृपया अपना हाथ उठाएँ! (करीब-करीब सभी अपने हाथ उठा लेते हैं) आचार्य (हाथ उठाते हैं): मैं भी आपके साथ हूँ, तो मेरा भी हाथ उठा हुआ है। (श्रोतागण मुस्कुराते हैं) हम में से शायद…Acharya Prashant12 min readAcharya Prashant12 min read
3 days agoMember-onlyअकेले चलने में डरता क्यों हूँ?प्रश्नकर्ता: इतना मुश्किल क्यों होता है अकेले चलना? आचार्य प्रशांत: मुश्किल होता नहीं है, पर लगने लग जाता है क्योंकि तुमने आदत बना ली है बैसाखियों पर चलने की, सहारों पर चलने की। यह कोई तथ्य नहीं है कि मुश्किल होता है अकेले चलना। उसमें वस्तुतः कोई कठिनाई नहीं है।…Acharya Prashant8 min readAcharya Prashant8 min read
4 days agoMember-onlyदूसरों के सम्मान से पहले अपना सम्मानप्रश्नकर्ता: आज सुबह के सत्र में चर्चा हुई थी भय और सम्मान के बारे में। उस चर्चा में कुछ लोगों का कहना था कि हम अपने अभिभावकों की बात इसलिए मानते हैं क्योंकि हमें उनसे भय है, और कुछ का कहना था कि हम उनकी बात इसलिए मानते हैं क्योंकि…Acharya Prashant3 min readAcharya Prashant3 min read
5 days agoMember-onlyसुनो ऐसे कि समय थम जाए“ सुणए पोहि न सकै कालु ”सुनने वाले को काल नहीं पा सकता। ~ जपुजी साहिब वक्ता: सुनने वाले को काल नहीं पा सकता। कबीर ने भी कहा है ये और जितने सरल तरीके से कबीर कहते हैं उतने ही सरल शब्दों में कि, काल-काल सब कहें, काल लखे न…Acharya Prashant4 min readAcharya Prashant4 min read
Mar 13Member-onlyसत्य किसको चुनता हैवक्ता: नानक कई बार कहते हैं कि वो जिसको चुनता है उसी पर अनुकम्पा होती है। तो सवाल है कि वो किसको चुनता है। हम इसपर कई बार बात कर चुके हैं। वो किसको चुनता है? श्रोतागण: जो उसी की तरफ़ जाता है। जो उसको चुनता है। वक्ता: हाँ। ज़्यादा…Acharya Prashant3 min readAcharya Prashant3 min read
Mar 13Member-onlyचतुर व्यापारी बाँटता ही जाता है,और बाँटने हेतु पाता है“मनु ताराजी चितु तुला तेरी सेव सराफु कमावा” ~ नितनेम (शबद हज़ारे) वक्ता: मन तराज़ू, चित तुला है — ‘मन’ तराज़ू है, ‘चित’ तुला है, और ‘तेरी सेवा’ वो कमाई है जो सर्राफ़ा इस पर तोल-तोल कर करता है। नानक के यहाँ पर पुश्तैनी काम यही था। अब तो पढ़…Acharya Prashant8 min readAcharya Prashant8 min read
Mar 11Member-onlyसत्य: मूल्यवान नहीं, अमूल्यवाज़े पंच शब्द तित तित घरी सभागे वक्ता: उस सौभाग्यशाली घर में पाँच शब्दों का वादन रहता है। न होने से, होने का जो बदलाव है, वो गतिमान हो जाने का बदलाव है। वो गति में आ जाने का बदलाव है। जब तक गति नहीं है, पदार्थ भी नहीं है। हिल-डुल कर, एक स्थान से दूसरे स्थान…Acharya Prashant19 min readAcharya Prashant19 min read
Mar 10Member-onlyत्याग — छोड़ना नहीं, जागनाजिन मिलिया प्रभु आपणा, नानक तिन कुबानु॥ ~ गुरु नानक आचार्य प्रशांत: मन का एक कोना मन के दूसरे कोने पर न्यौछावर है। एक मन है और दूसरा मन है, और दोनों की अलग-अलग दिशाएँ हैं। नानक कह रहे हैं, ऐसा मन जो प्रभु की दिशा में है, प्रभु पर…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
Mar 9Member-onlyमेरा शरीर किसलिए हैसाची लिवै बिनु देह निमाणी अनंदु साहिब (नितनेम) (Without the true love of devotion, the body is without honour) वक्ता: शरीर किसलिए है? दो शब्दों में शिवसूत्र स्पष्ट कर देते हैं। शरीर क्या है? हवि है। शरीर यज्ञ की ज्वाला में समर्पित होने हेतु पदार्थ है। यज्ञ क्या? यज्ञ वो…Acharya Prashant4 min readAcharya Prashant4 min read