3 hours agoMember-onlyबच्चों को कुविचारों से कैसे बचाएँप्रश्नकर्ता: आचार्य जी, क्या विचारों का आना असहज है? आचार्य प्रशांत: आप कहिए न! अभी आप यहाँ बैठे हुए हैं, तल्लीनता से सुन रहे हैं, कितने विचार उठ रहे हैं? कुछ ही समय पूर्व, करीब एक-डेढ़ घण्टे का सत्र हुआ था, विचार-मग्न थे क्या? या ध्यान-मग्न थे? …Acharya Prashant12 min readAcharya Prashant12 min read
14 hours agoMember-onlyफालतू लोगों से बचना चाहती हैं?प्रश्नकर्ता: नमस्ते आचार्य जी, मैं दिल्ली से हूँ , उम्र 25 साल। जिस उम्र में हूँ उसमें विपरीत लिंगी के प्रति थोड़ा-सा आकर्षण हो ही जाता है। हालाँकि ये पहली बार नहीं है, बीते समय के अनुभव रहे हैं। उससे ये पता चला कि मुझे इस दिशा में नहीं जाना…Acharya Prashant9 min readAcharya Prashant9 min read
2 days agoMember-onlyकोई अमीर कोई गरीब क्यों पैदा होता है? कोई कमज़ोर कोई बलवान क्यों?प्रश्नकर्ता: प्रकृति मनुष्य के साथ भेदभाव क्यों करती है? किसी को बलवान पैदा करती है, किसी को कमज़ोर; किसी का दिमाग जन्म से तेज़ होता है, किसी का मंद होता है। आचार्य प्रशांत: प्रकृति को तुम्हारी चेतना से कोई मतलब नहीं है, वो शरीर-भर पैदा कर देती है; और शरीर…Acharya Prashant11 min readAcharya Prashant11 min read
2 days agoMember-onlyएक और आख़िरी मौक़ादुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार। तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।। ~कबीर साहब प्रश्नकर्ता: संसार में मनुष्य जन्म मुश्किल से मिलता है। यह मानव शरीर उसी तरह बार-बार नहीं मिलता जैसे वृक्ष से पत्ता झड़ जाए तो दोबारा डाल पर नहीं लगता। तो क्या मनुष्य शरीर…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
4 days agoMember-onlyस्त्री कौन? मालकियत क्या?स्त्रियाँ प्रेम में उन्मत्त होकर जिस काम को करने लग जाती हैं, ब्रह्म भी उन्हें उस काम से नहीं हटा सकता। *~ श्रृंगार शतकम, श्लोक संख्या 54* जब कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है। ~…Acharya Prashant4 min readAcharya Prashant4 min read
4 days agoMember-onlyरिश्ते में अगर आज़ादी नहीं तो रिश्ता झूठा हैरिश्ते में अगर आज़ादी नहीं तो रिश्ता झूठा है | आचार्य प्रशांत : मालिक मने क्या? श्रोता : अधिकार जमाने वाला। वक्ता : अधिकारी? श्रोता : सर, हमारा जो अहंकार वो हमें एक भ्रम दे देता है की हम मालिक हैं| वक्ता : सत्य से सम्बंधित एक बहुत मूलभूत बात…Acharya Prashant34 min readAcharya Prashant34 min read
5 days agoMember-onlyजो स्त्री के शरीर में संतुष्टि खोजते होंप्रश्नकर्ता: आपने कहा है कि हम अपने-आप में पूर्ण होते हैं लेकिन ये मुझे कहीं भी दिखाई नहीं देता। मैं अपनी पूर्णता एक औरत के शरीर में ढूँढता हूँ। मुझे गर्लफ्रैंड की हमेशा चाह बनी रहती है, तो ये वक्तव्य मेरी समझ में नहीं आता। अब ये भी मैंने सुन…Acharya Prashant8 min readAcharya Prashant8 min read
Nov 29Member-onlyजीवन के सुख-दुःख क्या भाग्य पर निर्भर करते हैंप्रश्नकर्ता: आचार्य जी, पिंगला गीता में श्लोक क्रमांक १८ से २१ से प्रश्न है। श्लोक कहते हैं: “संसार में विषयों की तृष्णा से जो व्याकुलता होती है, उसी का नाम दुःख है, और उस दुःख का विनाश ही सुख है। उस सुख के बाद (पुनः कामनाजनित) दुःख होता है। इस…Acharya Prashant22 min readAcharya Prashant22 min read
Nov 28Member-onlyनारी के लिए आकर्षण हो तोप्रश्न: भगवान, बाहर से कुछ नहीं मिलेगा, ये जानते हुए भी अभी आशा समाप्त नहीं हो रही। आकर्षण बना रहता है, खासकर नारी का आकर्षण। शारीरिक रूप से कोई आवेग नहीं उठते, लेकिन चित्त में तो आवेग उठते रहते हैं। क्या करूँ? आचार्य प्रशांत जी: कुछ बुरा नहीं है नारी…Acharya Prashant7 min readAcharya Prashant7 min read
Nov 27Member-onlyनौकरी करें या नहीं?प्रश्नकर्ता: आचार्य जी प्रणाम! कुछ ही महीने हुए हैं आपसे यूट्यूब के माध्यम से जुड़े हुए। ‘वैराग्य शतकम’ का इक्कीस्वाँ श्लोक मुझे सता रहा है, मेरे वजूद पर सवाल उठा रहा है। मैं कॉर्पोरेट में काम कर रहा हूँ तीन साल से, आप समझ ही गए होंगे मैं पापियों के…Acharya Prashant16 min readAcharya Prashant16 min read