फ़िल्में: मनोरंजन या मनोविकार?

सबसे पहले तो हमें इस धारणा से बाहर आना होगा कि फ़िल्में मात्र हमें मनोरंजन देती हैं। इस धारणा के पीछे हमारा अज्ञान है मन के प्रति और मनोरंजन के प्रति।

हम चूंकि समझते नहीं कि मन क्या है और उसको क्यों उत्तेजना की या मनोरंजन की बार-बार ज़रूरत पड़ती रहती है इसीलिए हम मनोरंजन की तरफ दौड़ते भी रहते हैं और मनोरंजन को साधारण या हानिरहित या कोई अगंभीर, सस्ता मसला समझ कर छोड़ देते हैं।

मनोरंजन उतनी छोटी चीज़ नहीं है। ‘रंजन’ का मतलब होता है ‘दाग लगना’। कई अर्थ है रंजन के जिसमें से एक अर्थ है दाग लगना। मनोरंजन एक तरीके से मन को दागदार करने का काम है। ख़ास तौर पर अगर मनोरंजन की गुणवत्ता पर ध्यान न दिया जाए तो।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org