फ़िल्में: मनोरंजन या मनोविकार?
सबसे पहले तो हमें इस धारणा से बाहर आना होगा कि फ़िल्में मात्र हमें मनोरंजन देती हैं। इस धारणा के पीछे हमारा अज्ञान है मन के प्रति और मनोरंजन के प्रति।
हम चूंकि समझते नहीं कि मन क्या है और उसको क्यों उत्तेजना की या मनोरंजन की बार-बार ज़रूरत पड़ती रहती है इसीलिए हम मनोरंजन की तरफ दौड़ते भी रहते हैं और मनोरंजन को साधारण या हानिरहित या कोई अगंभीर, सस्ता मसला समझ कर छोड़ देते हैं।