ज़िन्दगी की परीक्षा में पास या फेल?
पैदा हुए थे परीक्षा देने के लिए और ज़िन्दगी काट दी मटरगश्ती में।
जो लोग इस तरह के विद्यार्थी रहे हों वो खूब समझ रहे होंगे मैं क्या कह रहा हूँ। जब साल भर मौज मारी हो और फिर परीक्षाएँ सामने आई हों, तो कैसा लगता है? और भैंसे वाले का सिस्टम ऐसा कि नकल चलती नहीं वहाँ कि तुम कहो आगे-पीछे वाले से पूछ लेंगे।
वहाँ ये सब चलता ही नहीं। वहाँ तो खरी-खरी जाँच होती है बिल्कुल। एक-एक नंबर…