Jul 21, 2022
ज़िंदगी के यह जितने भी उपद्रवी घोड़े हैं,
यह अपने-आप नियंत्रण में आ जाएँगे
अगर तुम्हें लगातार तुम्हारी मंज़िल याद रहे।
यह घोड़े हैं ही इतने चंचल
क्योंकि तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से कोई प्रेम नहीं है।
ज़िंदगी के यह जितने भी उपद्रवी घोड़े हैं,
यह अपने-आप नियंत्रण में आ जाएँगे
अगर तुम्हें लगातार तुम्हारी मंज़िल याद रहे।
यह घोड़े हैं ही इतने चंचल
क्योंकि तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य से कोई प्रेम नहीं है।
रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org