ख़ुशी क्या है?

प्रश्नकर्ता: ख़ुशी क्या है?

आचार्य प्रशांत: ख़ुशी क्या है? ना जानते होते तुम तो मेरे लिए उत्तर देना आसान होता। पर तय तो तुम सब ने ही कर लिया है कि ख़ुशी क्या है। पहले उसको ही देख लो कि-ख़ुशी क्या है? हिन्दुस्तान का और न्यूज़ीलैंड का मैच चल रहा है, तो न्यूज़ीलैंड की टीम ज़रा सस्ते में आऊट हो गयी। तो हिन्दुस्तान के लिए ये?

सभी श्रोतागण: ख़ुशी की बात है।

आचार्य: और न्यूज़ीलैंड के लिए ये?

सभी श्रोतागण: दुःख की बात है।

आचार्य: तुम और तुम्हारी दोस्त दोनों कोशिश कर रहे थे क्लास को टॉप करने की, टॉप तुम कर गयीं, तो तुम्हारे लिए ये?

सभी श्रोतागण: ख़ुशी की बात है।

आचार्य: और तुम्हारे दोस्त के लिए ये?

सभी श्रोतागण: दुःख की बात है।

आचार्य: हमारे लिए ख़ुशी सिर्फ वो है जो हमारे अहंकार को बढ़ावा देती है। यही है ख़ुशी। मन को बस वही प्रिय लगता है जो मन की धारणाओं को और पुख्ता करे। तुम्हें हँसी ही उन बातों में आएगी जो तुम्हें और ज्यादा अहंकार में ले जाती हैं। और उन्हीं की तुम तलाश करोगे। इससे तुम ये भी समझ जाओगी कि दुःख क्या है?

अहंकार पर जब चोट लगती है, उसका नाम है दुःख।

अहंकार जब मज़बूत होता है, उसका नाम है सुःख।

बड़ी साधारण सी बात है। अहंकार पर चोट लगी तो दुःख; अहंकार मज़बूत हुआ तो सुःख। तो सुःख को कीमती मत मान लेना। सुःख तुम्हें और पतन में गिराता है। जो साधारण सुःख है, मैं उसी की बात कर रहा हूँ। जितना तुम्हें सुःख मिलेगा और जितना तुम सुःख के पीछे भागोगे, उतना ही ज्यादा अपने लिए इंतज़ाम कर रहे हो नर्क का। वो नर्क मरने के बाद वाला नर्क नहीं है, वो अभी का नर्क है, इसी क्षण का। एक चीज़ और समझना। तुम अभी यहाँ बैठी हो, मान लो तुम्हारी सैंडल बहुत टाइट है और दिन भर उसको पहन करके घूम रहे हैं, छाला भी आ गया। वापिस जा कर जब तुम उस सैंडल को उतारोगी, तो कैसा महसूस होगा? सुःख।

वो सुःख तुम्हें सिर्फ इसलिए अनुभव हुआ क्योंकि दिन भर तुम्हें पहले से दुःख अनुभव करना पड़ा। तो सुख की ये एक बड़ी मज़ेदार खूबी है कि वो तुम्हें उतना ही मिलता है, जितना तुम दुःख भोगते हो। मैंने कहा- जो लोग सुःख के पीछे भागते हैं वो नर्क का इंतज़ाम कर लेते हैं, इसी कारण। क्योंकि सुःख तुम्हें उतना ही मिलेगा जितना तुमने दुःख भोगा है। अतः यदि तुम्हें ज्यादा सुःख चाहिए तो ज्यादा दुःख इकट्ठा करो।

परीक्षा का परिणाम लगता है। दो लोग जा रहे हैं परिणाम देखने। एक को बड़ा गहरा तनाव है, बड़े दुःख में है। उसको…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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