ॐ से क्या लाभ?

प्रश्नकर्ता: जब हम यह ॐ मंत्रोच्चारण करते हैं तो इससे हमें क्या लाभ होता है?

आचार्य प्रशांत: कुछ याद आता है।

प्र: कई बार मैं जब ॐ का मंत्रोच्चारण करती हूँ सुबह उठ कर; योग के छोटे से हिस्से के रूप में, तो वो मुझे शांति नहीं देता, मुझे ऐसा लगता है यह बस एक काम की तरह है।

आचार्य: वो तो फिर आप जब उसको समझ ही नहीं रही हैं तो क्या शांति मिलेगी।

प्र: फिर मैं क्या करूँ?

आचार्य: समझिए! ॐ को स्मरण रखने का मतलब होता है बहुत कुछ को विस्मरण करना। ॐ को याद रखने का मतलब होता है बहुत सारी बातों को भुलाना। ॐ को याद रखा माने क्या याद रखा? यह याद रखा कि ये जितना कुछ विविधता से भरा हुआ विस्तार है, ये वास्तव में बस ‘अ’, ‘उ’ और ‘म’ है। मुझे दिख रही हैं एक-लाख चीज़ें वो एक-लाख चीज़ें है ही नहीं; वो सब ‘अ’ है। मुझे आ रहें हैं सौ तरह के सपने, वो सौ विविध तरीकों के हैं ही नहीं; वो सब ‘उ’ हैं।

जिसको ये दिख गया, अब वो हज़ार चीज़ों और पचास सपनों के फेर में नहीं पड़ेगा। और यही ॐ का उद्देश्य है।

पचास चीज़ें आपके सामने आपको लुभा रही हैं, डरा रही हैं, आपने कहा, “ॐ, तुम हो क्या? अगर अभी मैं सो जाऊँ तो तुम गायब हो जाओगे, बस तुम्हारी इतनी हैसियत है।” आपके सामने बहुत भयानक शेर, चीते, भालू, साँप, अजगर हैं आप सो गए; मार दिया न आपने सबको, कोई बचा? तो यही उनकी हैसियत है बस- कि वो ‘अ’ भर हैं ‘अ’। आप ‘उ’ हो गए तो वो बचेंगे ही नहीं, क्योंकि आप दूसरे हो गए। आप वैश्वानर से तेजस हो गए, आपने दुनिया ही बदल दी; “तुम हो कहाँ! तुम हो कहाँ!” कुतर्क मत करिए, मुझे मालूम है आप बोल सकते हैं कि तुम सो जाओगे तो भी शेर खा जाएगा। मैं अभी जो बात कह रहा हूँ उसे समझने की कोशिश करिए; समझ में आ रही है बात?

पचास तरह के ख्याल आपको डरा रहे हैं आप सो गए, कहाँ गया डर? कहाँ गए विचार? ये तो छोड़िए कि आपको सोने की ज़रूरत है; जो विचार आपको डरा रहे थे उससे हटकर कोई और विचार आपके पास आ गया। कहाँ गया आप का डर या डर बचा अभी? डर भी तब आता है जब डराने वाली चीज़ का ख्याल आता है। वो विचार ही हट गया डर भी हट गया।

ॐ को अगर आप समझे हैं तो ये बातें आपको तत्काल याद रहेंगी, इसीलिए दुनिया आपको बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं करेगी। बार-बार मन उस मौन की तरफ भागता रहेगा- ॐ…………,ये सब खत्म करो न झंझट। म् …………, म्…………, खत्म करो न ये सब, ये क्या हो रहा है ये ऐसे? जैसे एक टेपर (शंकु) होता है न।

और ये सब हटाईयेगा कि ॐ को बिना जाने भी उच्चारण करो तो लाभ होगा या उसमें से कंपन निकलते हैं उससे कुछ हो जाएगा। आप मन को नहीं समझ रहे, मन की अलग-अलग स्थितियों को नहीं समझ रहे। आप ॐ-ॐ करे…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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