होश ही धर्म है
प्रश्नकर्ता: सर, धर्म क्या है?
आचार्य प्रशांत: देखो, कुछ बातें ऐसी होती हैं जो बहुत सरल होती हैं दुनिया में। लेकिन उनके चारों तरफ इतनी आवाज़ें भर दी गयी हैं, इन शब्द के चारों तरफ इतना प्रदूषण कर दिया गया है कि बात कहीं गड़बड़ हो जाती है। जैसे प्रेम! इसके चारों तरफ आवाज़ों का बहुत बड़ा वातावरण है। अब जैसे ही प्रेम का नाम आएगा, आपके दिमाग में हज़ार तरीके की छवियाँ उभरती हैं जबकी उन छवियों से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है जब मैं उच्चारित कर रहा हूँ…