हित-अहित की पहचान
1 min readJan 16, 2020
ख़ुशी बड़ा फिसलन भरा शब्द है।
इससे बचकर रहना होता है।
इसका मतलब ये नहीं कि दुःख की तरफ जाना है पर ख़ुशी से बचकर रहना।
चाहे वो तुम्हारी ख़ुशी हो या तुम्हारे घरवालों की। तुम्हारा हित तुम्हारी ख़ुशी से ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
इसका भेद हमें स्पष्ट होना चाहिए कि हमारा हित क्या है और हमारी प्रसन्नता क्या है। प्रसन्नता की बात सब करते हैं पर इसकी बात कोई करता ही नहीं कि हित कहाँ निहित है।
आचार्य प्रशांत से निजी रूप से मिलने व जुड़ने हेतु यहाँ क्लिक करें।
आचार्य जी से और निकटता के इच्छुक हैं? प्रतिदिन उनके जीवन और कार्य की सजीव झलकें और खबरें पाने के लिए : पैट्रन बनें !