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हर प्रकार के अपराध की
एक ही जड़ होती है –
सत्य का अभाव,
अध्यात्म का अभाव।
जहाँ अध्यात्म नहीं है
जहाँ ग्रंथ और गुरु नहीं हैं
वहाँ मन की विक्षिप्तता तो
पलित-पोषित होती ही रहेगी।
बड़े अफ़सोस की बात है कि
अधिकांश लोग जो बुलंद स्वर में
उत्पीड़न का, शोषण का, बलात्कार का
विरोध करते हैं, ये वो लोग हैं
जिनका अध्यात्म से
कोई लेना-देना नहीं।
किसी भी तरह की हिंसा को
रोकने का साधन एक ही है –
अध्यात्म, ध्यान, प्रेम, भक्ति।
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