‘हर पल को पूरा जीने’ का भोगवादी आदर्श
जीवन शोकमय है और शोक जिसको काटना हो — वो दमन और शमन दोनों में पारंगत हो जाए।
मन को ऐसी सामग्री देनी है जिससे उसका ताप ठंडा पड़ जाए, ये शमन कहलाता है।
मन का संबंध होता है इंद्रियों से और यह इंद्रियाँ लगी ही रहती हैं अपने भोग विषयों की ओर जाने को। बात यह है कि इंद्रियाँ अगर पहुंच गई अपने भोग विषय की ओर, तो भोगने की लालसा मन की और बढ़ जानी है। तो बलात फिर इंद्रियों को रोकना…