हर कदम, पहला कदम
नानक निर्गुणी गुण करे गुणवतीय: गुण देह
~ गुरु ननक
आचार्य प्रशांत: बात बहुत सीधी है, गुण वह सब कुछ है जो किसी भी चीज़ के बारे में, घटना के बारे में, इंसान के बारे में कहा जा सकता है, वह गुण है।
जिस किसी वस्तु, व्यक्ति के साथ आप जो कोई भी विशेषण उपाधि लगा सकते है, वह गुण है। जिस किसी चीज़ का जो भी वर्णन किया जा सकता है, वह पूरा विवरण उसका का गुण है।
भक्त के लिए यही विस्मय कि विनय कि बात होती है कि यह जो सब कुछ है, यही विस्मय है। जिसे जो दिख रहा है, वह है और उसका विपरीत है, वह सब कुछ किसी एक बिंदु से ही पैदा हुआ है। इसीलिए जब भक्त देखेगा तो कहेगा कि वह पूर्ण है क्योंकि उससे पूर्ण का जन्म हो रहा है। सब कुछ उसी से आ रहा है׀ ठीक इसी तथ्य को ज्ञानी उलट देता है।
ज्ञानी कहता है कि यह जो सब कुछ है, यह कुछ है ही नहीं क्योंकि एक बिंदु से आ रहा है, जो शून्य है। भक्त कहता है वह बिंदु है जिससे सब कुछ आ रहा है। एक बिंदु है, जहाँ दूसरा कुछ नहीं है। जहाँ अद्वैत है और उससे दुनिया भर के द्वैत निकल रहे है। पूर्ण द्वैत, समस्त द्वैत उसी से निकल रहे है, तो वह पूर्ण है।
उसके देखने कि दिशा नीचे से ऊपर को है कि किससे क्या निकल रहा है? बीज से शाख की ओर है׀ ज्ञानी इसी बात को देखता है, वह ऊपर से नीचे जाकर देखता है। वह कहता है यह जो सब कुछ इतना फैला हुआ दिखाई दे रहा है, यह कुछ है ही नहीं क्योंकि यह नाकुछ से उद्धत हुआ है।
नानक के देखने कि दिशा भक्त की है, नीचे से ऊपर की।