हर आदमी अपना मालिक है बस एक मालिक अपना काम-धाम होश में चला रहा है, और दूसरा मालिक अपना सब काम धुत्त नशे में, बेहोशी में चला रहा है, झूठ में चला रहा है, बेईमानी में चला रहा है।

पर चला तो दोनों ख़ुद ही रहे हैं।

किसी और पर इल्ज़ाम नहीं दिया जा सकता।

किसी और को श्रेय भी नहीं दिया जा सकता।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org