
हम व्यर्थ फँसे हुए हैं
मेरा जीवन है, मेरी अपनी भी कोई स्वेच्छा है, अपनी दिशा, अपनी गति मैं खुद निर्धारित करूँगी।
तनाव सिर्फ उसको होता है जो रस्सी की तरह बेजान और मुर्दा होता है। जो जगा हुआ होगा वो इस सब को झिटक देगा। कोई मेरा हाथ खींच रहा है तो कोई मेरा पाँव खींच रहा है, तो कोई मेरी चुटिया खींच रहा है, तुम्हारे होंगे अपने-अपने इरादे, अपने-अपने एजेंडा, अपनी-अपनी दिशाएँ, कोई उधर खींच लेना चाहता है, तो कोई इधर खींच लेना चाहता है, पर मेरा जीवन, मेरा जीवन है दूर…