हम पैदा क्यों होते हैं? क्या जीवन का कोई लक्ष्य है?

प्रश्नकर्ता: एक तरफ़ तो आप कहते हैं कि, “तुम इसलिए पैदा हुए हो कि तुमको मुक्ति मिले और प्रकृति भी चाहती है कि तुम मुक्त हो जाओ”, लेकिन दूसरी तरफ़ आप कहते हैं कि प्रकृति तुमको बाँधकर रखना चाहती है। तो इन दोनों बातों में तो विरोधाभास है।

आचार्य प्रशांत: बढ़िया सवाल। देखो, जब मैं कहता हूँ प्रकृति तुमको बाँधकर रखना चाहती है — अच्छा हुआ तुमने पूछ लिया — तो उससे बेहतर तरीक़ा कहने का ये है कि तुम प्रकृति से बँधे-बँधे रहना चाहते हो।

एक उदाहरण देता हूँ। उसका उपयोग मैं पहले भी कर चुका हूँ, पर सुन्दर रूपक है इसलिए उसका उपयोग मैं…

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रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

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