हम पशुओं को क्यों मारते हैं?

आदमी अपनेआप को बाकी प्रकृति से श्रेष्ठ मानकर अपना ही नुक़सान कर रहा है। आज देख रहे हो न ये ग्लोबल वार्मिंग? ये इसी का नतीजा है, क्योंकि तुमने प्रकृति को बहुत छेड़ा। तुमने ये माना कि “मैं इसका कितना भी दोहन कर सकता हूँ”। और अब दुनिया के कम-से-कम बीस शहर हैं, जिनमें से तीन भारतीय शहर हैं, जो नष्ट होने की कगार पर खड़े हैं। जितने भी तटीय शहर हैं न, जो समुद्र के किनारे पर होते हैं, उन सब में बाढ़ का ज़बरदस्त खतरा है। समुद्र का तल उठ रहा है। इन…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org