हम धोखे से नहीं बहकते, मज़ा लेते हैं बहकने में
प्रश्नकर्ता: जब मेरे दिमाग में कोई भी विचार आता है, थॉट आता है, मुझे खुद भी नहीं पता होता कि मैं क्यों सोच रहा हूँ यह सब। जब भी मैं कोई काम करने जा रहा होता हूँ या पढ़ रहा होता हूँ, वह मेरे को फ़ोकस नहीं करने देता, कंसंट्रेशन नहीं हो पाता। मैं उन सारे थॉट्स को रोक तो नहीं सकता तो मैं ऐसा क्या करूँ कि वह सारे थॉट्स कंस्ट्रक्टिववे में मेरे साथ रहे ताकि मेरा कंसंट्रेशन बना रहे और…