हमें क्या पता हम क्या चाहते हैं
15 min readDec 31, 2021
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प्रश्नकर्ता: हमारे मन का स्तर उठता क्यों नहीं? हम बेहतर होना चाहते हैं, पर चाहते हुए भी बेहतर हो क्यों नहीं पाते?
आचार्य प्रशांत: देखिए जो ये शब्द होता है न 'चाहना', ये थोड़ा भ्रामक शब्द है। हम साफ़-साफ़ जानते नहीं हैं कि हम चाहते क्या हैं। आप पूछेंगे तो ऊपर-ऊपर तो कोई भी नहीं बोलेगा आपसे कि वो बंधन चाहता है, क़ैद चाहता है, दुःख चाहता है, कष्ट चाहता है, कोई नहीं बोलेगा। पर एक वो चीज़ है जिसको हम कहते हैं कि हम चाहते हैं। और दूसरी वो चीज़ है जिसको हम चोरी-छुपे चाहते हैं, बेहोशी में चाहते हैं।