हदों में चैन कहाँ पाओगे?
हद हद करते सब गये, और बेहद गयो न कोय।बेहद के मैदान में, रहा कबीरा सोय।।~कबीर
प्रश्न: ये दोहा मुझे बहुत पसंद है लेकिन इसका अर्थ स्पष्ट नहीं है पूरे तरीके से
वक्ता: एक बात बताइए, कबीर आपको अर्थ समझाना चाहते थे या कबीर आपको गा कर अपना गायन दे रहे हैं?
कबीर को आपको अर्थ ही समझाना होता तो आपको अर्थ देते न। कबीर तो निरर्थक के कलाकार हैं, अर्थ से उन्हें कोई बहुत प्रयोजन रहता…