सफ़ाई इकट्ठा मत करो, इकट्ठा कचरे की सफ़ाई करो

जिसका मन अशांत है वह बाहर बस पाना चाहता है, उसका हर प्रयास बस पाने के लिए होता है। उद्यमो भैरवः का अर्थ है कि जब मन सहज है तब बाहर से पाने जैसी कोई इच्छा नहीं बचती। उसके बाद जो बाहर कर्म होता भी है तो इसलिए कि अपनी गंदगी को साफ़ कर लूं।

कुछ पाना नहीं है जीवन में, पाने लायक पहले ही है, अधिक से अधिक सफाई करनी है।

जिसका मन शांत नहीं होता वह प्रयास करता है पाने के लिए और जिसका मन शांत हो जाता है वह प्रयास करता है कि जो पाया ही हुआ है, इकट्ठा है मन पर उसको कैसे हटाऊँ।

विचार को ऊर्जा देना ही एक अशांत मन का काम है।

एक ही बात एक आदमी के कान में पड़ेगी तो सिर्फ़ बात बनकर उड़ जाएगा लेकिन दूसरे व्यक्ति के कान में वह पूरी कहानी बन जाएगी। तुमने अगर जम कर प्रयास किया है कचड़ा भरने में तो जम कर प्रयास करना होगा साफ़ करने में।

हमारे मन की कंडीशनिंग इतनी गहरी, इतनी सूक्ष्म हो गई है कि अब वह हमें अपना स्वभाव लगने लगी है। हमें लगता है यही तो है, सब यही तो कर रहें हैं।

बड़ी ईमानदारी और बड़ी मजबूती चाहिए होती है यह स्वीकार करने के लिए कि मैं फंसा हुआ हूँ, बंधनों में हूँ और मुक्ति चाहिए। मन यह बात स्वीकार ही नहीं करना चाहता।

अगर आप बार-बार पा रहें हैं कि गुलाम बन जा रहें हैं तो देखिये कि क्या लालच है और उस लालच को हटाइए फिर गुलामी हट जाएगी।

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org