स्वीकृत या सम्यक?

आचार्य प्रशांत: बहुत अच्छा सवाल है। आपका नाम क्या है?

प्रश्नकर्ता: रोहित।

आचार्य: रोहित पूछ रहे हैं, ‘स्वीकृत’ और ‘सम्यक’ में क्या अंतर है? और आप में से जो भी लोग आज कुछ भी ना समझ पाएं बस इस सवाल को समझ लें, उन्हें दिख जाएगा कि वो बुद्धिमानी से बर्ताव कर रहे हैं। एक अंधा आदमी, जो यहाँ कहीं बैठा हो, अगर उसे यहाँ से बहार जाना हो तो उसके पास एक ही तरीका है। वो अपने पुराने अनुभवों के आधार पर या किसी से पूछ कर कि कितने कदम आगे बढ़े और फिर कितने कदम चले, और फिर दरवाज़ा आ गया, ही बाहर जा सकता है। वह भी यहीं पर है और दरवाज़ा भी, और एक ही तरीका हो सकता है बाहर जाने का कि यह जो रटा-रटाया तरीका है कि यह करना है, तो ऐसे ही करना होगा क्योंकि उसकी आँख तो है नहीं। वो ये नहीं कर सकता कि उनके बीच से निकल जाए या कूद कर निकल जाए। वो ऐसा नहीं कर पाएगा। उसके आँख नहीं है, तो उसके पास मात्र एक तरीका हो सकता है- जो उसे किसी ने बता दिया है। क्या मैं ठीक कह रहा हूँ?

सभी श्रोता(एक स्वर में): जी सर।

आचार्य: वो तरीका भी उसने अपने पुराने अनुभवों से सीखा है या उसे कोई बता गया है। वो तरीका उसके इस पल की समझ से नहीं आ रहा है, कहीं और से आ रहा है। एक दूसरा आदमी है जिसकी आँखें हैं, उसे बहार निकलना है। तो वो कैसे निकलेगा? वो अगर देखेगा कि यहाँ भीड़ बहुत है और पीछे वाला दरवाजा खुला है और वहां भीड़ नहीं है, तो वो कहाँ से निकलेगा?

सभी श्रोता(एक स्वर में): पीछे वाले दरवाज़े से।

--

--

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org