स्वयं से ही डर
2 min readJun 18, 2020
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ये बड़ी मजेदार स्थिति है। एक तरफ तो मन भटकना चाहता है, दूसरी तरफ वो पूरी तरह भटक भी नहीं सकता।
आपको जो चीज़ सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है, सबसे ज़्यादा डराती भी वही है। प्रेम में गहरा आकर्षण है, पर बिल्कुल हालत खराब कर देता है। डर भी सबसे ज़्यादा उसी से लगता है। और यही पूरी ज़िन्दगी में घूम-फिर कर होता रहता है। मन अच्छे से जानता है कि उसकी सारी धारणाएं झूठी हैं।