स्वयं के भीतर जाना
10 min readApr 15
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आचार्य प्रशांत: आठवें श्लोक के अगले अंश पर आओ।
“दृढ़ता के साथ इन्द्रियों को मानसिक पुरुषार्थ कर अंतःकरण में सन्निविष्ट करें।”
माने इन्द्रियों को और मन को अंतःकरण — माने यही छाती, हृदय, जो कि सत्य का और आत्मा का प्रतीक है — इन्द्रियों को अंतःकरण तक ले आना, माने मन को आत्मा तक ले आना।
इन्द्रियों के माध्यम से बाहर कौन झाँकता रहता है? इन्द्रियों का प्रयोग करके बाहर कौन संसार की रचना…