स्त्री कौन? मालकियत क्या?

स्त्रियाँ प्रेम में उन्मत्त होकर जिस काम को करने लग जाती हैं, ब्रह्म भी उन्हें उस काम से नहीं हटा सकता।
~ श्रृंगार शतकम, श्लोक संख्या 54
जब कोई स्त्री अपने को तुम्हारे चरणों में रख देती है, तब अचानक तुम्हारे सिर पर ताज की तरह बैठ जाती है।
~ ओशो
प्रश्न: आचार्य जी, ‘स्त्री’ क्या है? मालकियत से क्या आशय है?