स्त्री का विकास, परंपरा, और आधुनिकता

पहली बात तो ये है कि नारी विमर्श में आज पुरानी नारी को जितनी दयनीय हालत में दर्शाया जाता है उतनी दयनीय हालत में वो थी नहीं। निश्चित रूप से उसका शोषण भी होता था, निश्चित रूप से उसके अधिकार भी कुछ कम थे, निश्चित रूप से उस पर कुछ वर्जनाएं थीं, पर जितना आधुनिक विमर्श में उसको बेचारगी की हालत में दिखाया जाता है उतनी बेचारगी की हालत में वो कभी नहीं थी।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org