स्त्री और पत्नी
आचार्य प्रशांत: दो वक्तव्य हैं ओशो के, दोनों कैसे समझें? उनको अगल-बगल रखते हैं तो कुछ सूझता नहीं।
पहला वक्तव्य है, “स्त्री ईश्वर की उत्कृष्टतम कृति है।” और दूसरा वक्तव्य है, “पत्नियाँ टाँग नहीं तोड़तीं, वे तुम्हारी आत्मा ही तोड़ देती हैं।”
(मुस्कुराते हुए) क्या बात है!
काश कि टाँग ही तोड़ दी होती।