सेक्स, अच्छा या बुरा?

सेक्स! ना अच्छा ना बुरा! साँस लेते हो तो पूछते हो अच्छा या बुरा? पानी पिया, अच्छा या बुरा?

सेक्स, अच्छा बुरा नहीं होता, आप जैसे हो आपका सेक्स वैसा ही होता है। आतंकवादी का उदाहरण ले लेते हैं: वो पानी पिएगा और कहेगा, “आ…हा…हा… अब गला तर हो गया है, कहाँ है मेरी एके-47?” वो गोली मारेगा पानी पीकर।

आप जैसे हो, आपके जीवन में सब कुछ वैसा ही रहेगा। आप अगर उलझे हुए हो तो आपका सेक्स भी उलझा हुआ रहेगा। आप जो अपने सारे जीवन भर की उलझन है, वो आप सेक्स पर भी डाल दोगे। आप सुलझे हुए हो तो आपका सेक्स भी सुलझा हुआ रहेगा। जीवन में जैसे एक प्रवाह होता है, सेक्स में भी वैसे एक प्रवाह रहेगा। हो? सोचना नहीं पड़ेगा फिर उसके लिए, विचार नहीं करना पड़ेगा।

आपके जीवन में हर चीज़ के लिए उलझाव है। निर्णय ही नहीं ले पाते। अच्छा-बुरा, सही-गलत सोचते हो, तो आप सेक्स के लिए भी सोचोगे अच्छा-बुरा, सही-गलत। सेक्स कोई बड़ी बात है ही नहीं। जैसे अभी कहा न साँस लेने के लिए नहीं सोचते कि लें कि न लें, अपने आप हो जाता है। अगर सही जिंदगी जी रहे हो, अगर सत्य के साथ हो, वही ऑब्ज़र्व कर रहे हो, हक़ीक़त के साथ हो, तो सेक्स सोचने की बात नहीं होगी। होगा तो होगा, नहीं होगा तो नहीं होगा। जब हो रहा होगा तो तुम रोकने नहीं आओगे। तुम नहीं कहोगे गलत चीज़ है, अच्छी बात है, बुरी बात है; तुम कहोगे ठीक है जैसे पूरा दिन बीता वैसे अभी ये हो रहा है और जब नहीं हो रहा होगा तो तुम खीजोगे नहीं कि सेक्स क्यों नहीं मिल रहा है, तुम उस में अड़ंगा डालोगे ही नहीं!

जीवन में एक प्रवाह रहेगा, उस प्रवाह में जो कुछ भी हो रहा होगा, तुम उसके सामने झुके हुए रहोगे।

तुम्हारे मन पर सेक्स एक बोझ की तरह नहीं रहेगा। ज़्यादातर जवान लोगों के लिए सेक्स एक बोझ होता है - हो जाए तो भी बोझ होता है। हो गया तो दो दिन तक सोचेंगे “क्या सेक्स था!” नहीं हुआ तो कलपेंगे-रोएंगे कि मिल क्यों नहीं रहा है!

सेक्स क्या, कुछ भी बोझ नहीं होना चाहिए।

जो मन पर चढ़ गया वही बोझ हो गया।

जिस चीज़ के साथ तुमने अपनी पहचान जोड़ ली, वही बोझ हो गया।

सेक्स हल्की बात है — हो गया तो ठीक है। हो रहा है तो रोकना क्यों है?

शरीर से नहीं दूर भागना है। पुरुष का शरीर और स्त्री का शरीर एक हैं। कोई पुरुष ये सोचे कि स्त्री से बच लेगा तो नहीं बच सकता। पुरुष शरीर बनाया ही गया है स्त्री शरीर के पास आने के लिए। पुरुष शरीर में जो कुछ है वो स्त्री के शरीर की तरफ़ आकर्षित हो रहा है और पुरुष के शरीर में जो कुछ है वो स्त्री शरीर को आकर्षित कर रहा है — और सिर्फ मैं जननांगों की ही बात नहीं कर रहा। शरीर में सब कुछ…

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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