सेक्स, अच्छा या बुरा?

सेक्स, अच्छा या बुरा?

प्रश्नकर्ता: बहुत समय से मेरे मन में ये सवाल था, आज पूछना चाहता हूँ: सेक्स, अच्छा या बुरा?

आचार्य प्रशांत: बस सेक्स! ना अच्छा ना बुरा! साँस लेते हो तो पूछते हो अच्छा या बुरा? पानी पिया, अच्छा या बुरा?

प्र: धर्म ग्रंथों में क्यों कहा गया है कि ब्रह्मचर्य आवश्यक है?

आचार्य प्रशांत: ब्रम्हचर्य बिल्कुल आवश्यक है, पर ब्रम्हचर्य का अर्थ होता है — ब्रह्मचारी, जो ब्राह्म में जिए। ‘ब्रह्म’ माने हकीकत। जो हकीकत में जिए, वो ब्रह्मचारी है। ब्रह्मचारी का ये मतलब थोड़े ही है जो सेक्स नहीं करता! ये किसने बता दिया? जो सत्य में जिए, वो ब्रह्मचारी है। कृष्ण ब्रह्मचारी नहीं हुए फिर तो? कृष्ण से बड़ा ब्रह्मचारी कौन है? अगर ब्रह्मचारी की यही परिभाषा है कि वो कभी सेक्स, संभोग ना करे तो फिर तो कृष्ण ब्रह्मचारी हुए ही नहीं। ये तो बड़ा गड़बड़ हो गया! तुमने अवतार को ही कह दिया कि ये ब्रह्मचारी नहीं हैं।

ब्रह्मचारी माने जो ब्रह्मचर्या करे। जैसे दिनचर्या होती है न? दिनचर्या, दिन बीतता है, वैसे ही जो ब्रह्म में लगातार जिए, वो ब्रह्मचारी।

सेक्स, अच्छा बुरा नहीं होता, आप जैसे हो आपका सेक्स वैसा ही होता है। उसी आतंकवादी का उदाहरण ले लेते हैं: वो पानी पिएगा और कहेगा, “आ…हा…हा… अब गला तर हो गया है, कहाँ है मेरी एके-47?” वो गोली मारेगा पानी पीकर।

आप जैसे हो, आपके जीवन में सब कुछ वैसा ही रहेगा। आप अगर उलझे हुए हो तो आपका सेक्स भी उलझा हुआ रहेगा। आप जो अपने सारे जीवन भर की उलझन है, वो आप सेक्स पर भी डाल दोगे। आप…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org