सुरक्षा नहीं मकान में, लड़की रहो उड़ान में

जिस लड़की के कदम खुले आकाश में नहीं निकले, जिसने दुनिया नहीं नापी, जिसने अपने हाथ मज़बूत नहीं किए, जो शिक्षित नहीं है, जो कमाती नहीं है, जिसके पास ज्ञान नहीं है, जिसका मन खुला हुआ नहीं है, सबसे ज़्यादा संभावना उसी लड़की के शोषण की है।

तो अगर शोषण से बचना चाहती हो तो और भी ज़रूरी है कि घर से बाहर निकलो।

घर के बाहर खतरा है, निःसंदेह खतरा है, पर घर के भीतर मैं तुमसे कह रहा हूँ और बड़ा खतरा है क्योंकि जो जगा हुआ नहीं है, जो बलहीन है, वो तो कभी भी शिकार हो जाएगा।

तुम बात-बात पर यदि निर्भर रहीं, हाथ फैलाती रहीं, ‘पैसे दे दो, कपड़े दे दो, खाना दे दो, घर दे दो, सुरक्षा दे दो’, तुम्हें क्या लगता है जो कोई तुम्हें ये सब देगा, तुमसे इनकी कीमत नहीं वसूलेगा?

या मुफ्त में ही मिल जाएगा?

मुफ्त में नहीं मिलेगा। कीमत दोगी।

सुरक्षा तुम्हें सबसे ज़्यादा पिंजरों में मिलती है, पर फिर पिंजरों में तुम उड़ भी नहीं सकते।

भूलना नहीं इस बात को।

विद्रोही लड़की, सुविधा और सुरक्षा की आधा छोड़ो!

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org