सुनो ऐसे कि समय थम जाए

सुणए पोहि न सकै कालु ”सुनने वाले को काल नहीं पा सकता।

~ जपुजी साहिब

वक्ता: सुनने वाले को काल नहीं पा सकता। कबीर ने भी कहा है ये और जितने सरल तरीके से कबीर कहते हैं उतने ही सरल शब्दों में कि,

काल-काल सब कहें, काल लखे न कोए।जेती मन की कल्पना, काल कहावे सोए ।।

जहाँ कल्पना है वहीं काल है;जहाँ काल है वहीं मृत्यु है।

आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

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