सुनना ही मोक्ष है

सुणि सुणि मेरी कामणी पारि उतारा होइ ॥२॥

(श्री गुरू ग्रन्थ साहिब जी, अंग ६६०)

वक्ता: सुणि सुणि मेरी कामणी पारि उतारा होइ|

सुन-सुन कर मैं पार उतर गयी| सुन-सुनकर पार उतर गयी| (‘सुन’ शब्द पर ज़ोर देते हुए)

क्या अर्थ है इसका? सुन-सुनकर तर गयी|

सुनने का अर्थ है- निर्विकल्प भाव से सुनना| आँखों के पास हमेशा विकल्प होता है, आँखों के पास…

--

--

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org

Get the Medium app

A button that says 'Download on the App Store', and if clicked it will lead you to the iOS App store
A button that says 'Get it on, Google Play', and if clicked it will lead you to the Google Play store
आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org