सुंदरता — बात नाज़ की, या लाज की?
जीवन बहुत बड़ी बात है। वो सुंदर देह या सुंदर चेहरे भर से नहीं चल जाता। और जो लोग इस बाहरी सुंदरता के फेर में ही रह जाते हैं, उनको सज़ा ये मिलती है कि वो आंतरिक सुंदरता से सदा के लिए वंचित रह जाते हैं। मैं बाहरी सुंदरता के ख़िलाफ नहीं हूँ, मैं कह रहा हूँ — बाहरी सुंदरता, आंतरिक सुंदरता के सामने बहुत छोटी चीज़ है। हाँ, आंतरिक सुंदरता हो, उसके बाद तुम बाहरी सुंदरता लाओ तो अच्छी बात है।