सुंदरता — बात नाज़ की, या लाज की?
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जीवन बहुत बड़ी बात है। वो सुंदर देह या सुंदर चेहरे भर से नहीं चल जाता। और जो लोग इस बाहरी सुंदरता के फेर में ही रह जाते हैं, उनको सज़ा ये मिलती है कि वो आंतरिक सुंदरता से सदा के लिए वंचित रह जाते हैं। मैं बाहरी सुंदरता के ख़िलाफ नहीं हूँ, मैं कह रहा हूँ — बाहरी सुंदरता, आंतरिक सुंदरता के सामने बहुत छोटी चीज़ है। हाँ, आंतरिक सुंदरता हो, उसके बाद तुम बाहरी सुंदरता लाओ तो अच्छी बात है।
भई, तुम्हारा एक सौ रुपये का नोट गिरा है और एक पाँच रुपये का सिक्का, पहले किसको उठाते हो? किसको उठाते हो? सौ रुपये के नोट को न? इसका मतलब क्या ये है कि पाँच के सिक्के की कोई कीमत नहीं है? उसकी कीमत है लेकिन सौ रुपये के सामने एक बटा बीस। यही अनुपात बाहरी सुंदरता और भीतरी सुंदरता में। सौ रुपये का नोट उठा लिया, उसके बाद उठा लो पाँच का सिक्का। लेकिन उस आदमी को क्या कहोगे या उस औरत को क्या कहोगे जो पाँच का सिक्का उठा रही है और सौ रुपये का नोट छोड़े दे रही है, ध्यान ही नहीं दे रही है? पाँच का सिक्का भी कुछ महत्व तो रखता है, पर सौ का नोट कहीं ज़्यादा महत्व रखता है। ये बात मैं कहता हूँ, मैं बाहरी सुंदरता के ख़िलाफ़ नहीं हूँ।
बहुत अच्छी बात है कि तुम्हारा शरीर सुंदर है; उससे कहीं ज़्यादा अच्छी बात होगी कि तुम्हारा मन सुंदर हो। बहुत अच्छी बात है कि तुम्हारी आँखें देख कर के तुमने कहा पुरुष तुम्हारी ओर आकर्षित हो जाते हैं। क्या बात है तुम्हारी आँखें ऐसी आकर्षक हैं कि पुरुष खिंचे चले आते हैं, लेकिन और भी बेहतर होता — वाह! क्या बात होती अगर तुम्हारी आँखों के पीछे सच की रोशनी होती। हम कहते हैं न आँखों में रोशनी होनी चाहिए? एक तो होती है साधारण रोशनी आँखों की, जिसने बस इतना देखा कि एक आदमी चला आ रहा है। ये साधारण रोशनी वाली आँख भी देख लेती है कि एक आदमी चला आ रहा है, और एक आँख होती है जिसमें सच की रोशनी होती है, वो बस यही नहीं देख लेती कि आदमी चला आ रहा है, वो ये भी देख लेती है कि — जो आ रहा है वो कौन है, जो उसे आता हुआ देख रहा है, वो ‘मैं’ कौन हूँ, और मेरा और उसका रिश्ता क्या है। वो आँख बहुत कुछ देख लेती है। वैसी आँख अगर आपके पास हो तो उस आँख की सुंदरता का कहना क्या! ये आँख जिसकी आप सुंदरता बनाती फिरती हैं, भौहें बनवाते हैं, काजल लगाते हैं, ये आँख तो देखिए बहुत दिन चलनी नहीं है। असली आँख अगर आपके पास हो तो फिर क्या बात है!
और एक फ़ायदा और सुनो! अगर बस वही आँख है, ये हाड़-माँस वाली, तो इस आँख पर जो पुरुष रीझ रहे हैं, वो भी वैसे ही होंगे बस हाड़-माँस के पुजारी। अगर असली आँख है तुम्हारे पास, तुम्हारी आँख में अगर असली रोशनी है, तो फिर जो पुरुष तुम्हारी ओर आकर्षित होंगे वो भी असली होंगे। तुम्हारी अगर सतही सुंदरता है तो इस सतही सुंदरता से आकर्षित भी सतही लोग ही…