सिद्धियों और शक्तियों का क्या महत्त्व

प्रश्नकर्ता: अक्सर ऐसा सुनने में आता है कि किसी के पास कोई सिद्धि है और किसी के पास कोई शक्ति है। आध्यात्मिक जगत में ऐसे चर्चे बड़े सुनने को मिलते हैं। जीवन में मुमुक्षा जागृत हो या समाधि प्राप्त हो, इन सब में इन सिद्धियों का क्या महत्व होता है?

आचार्य प्रशांत: जिन्होंने सिद्धियों की बात करी है उन्होंने भी साफ़-साफ़ कहा है कि सिद्धियाँ मुक्ति के रास्ते में लाभप्रद तो नहीं ही होती, वो विचलन का एक कारण ज़रूर बन जाती हैं। जिन लोगों ने सिद्धियों की हस्ती में, सत्ता में विश्वास भी करा है, उन्होंने भी यही कहा है कि सिद्धियाँ होती हैं, पर इनके चक्कर में मत पड़ना क्योंकि तुम्हें सिद्धि नहीं मुक्ति चाहिए।

और सिद्धियों में बड़ा आकर्षण होता है। सिद्धियाँ इस तरह की कि किसी का मन पढ़ लिया, कि अपना शरीर छोड़ करके किसी और के शरीर में प्रविष्ट हो गए, इन्हीं सब को सिद्धि इत्यादि माना जाता है। आसमान में उड़ने लग गए, अभी यहाँ हैं, तत्काल कहीं और किसी दूसरे देश पहुँच गए, पानी पर चलने लगे गए, रोगी को छू करके स्वस्थ कर दिया — ये सब सिद्धियाँ मानी जाती हैं। ठीक है? तो ये सिद्धियाँ हैं भी तो बताने वालों ने सावधान करा है कि इनके लालच में मत पड़ना, क्योंकि तुम्हें सिद्धि नहीं मुक्ति चाहिए।

और सिद्धि बड़ी आकर्षक होती है, उसमें ताक़त होती है न, दूसरे प्रभावित होते हैं, तुम्हारे हाथ में बल आ जाता है। जिसको सिद्धि मिल गई, वो फिर सिद्धि-सिद्धि ही खेलता रहता है।

जहाँ तक मेरी बात है, सिद्धि जैसी कोई चीज़ मैं मानता ही नहीं, ख़ासतौर पर उस तरह की…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org