साहब, नज़र रखना

साहब नज़र रखना, मौला नज़र रखना
तेरा करम सबको मिले, सबकी फ़िक्र रखना
न आदमी की आदमी झेले गुलामियाँ,
न आदमी से आदमी मांगे सलामियाँ
जो फ़र्क पैदा हो रहे, वो फ़र्क गर्क हों
सबको बराबर बाँट, ये धरती ये आसमान
कोई भी न हो दर्द में, सबकी ख़बर रखना

प्रश्न: सर, कृपया इस गाने का अर्थ बताईये।

उत्तर: भास्कर,

हमें लगातार लगता रहता है कि हमारे करे हो रहा है। हम खुद को डूअर — कर्ता — माने रहते हैं.ध्यान से देखें तो मन की…

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आचार्य प्रशान्त - Acharya Prashant

रचनाकार, वक्ता, वेदांत मर्मज्ञ, IIT-IIM अलुमनस व पूर्व सिविल सेवा अधिकारी | acharyaprashant.org